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एयर इंडिया में सुरक्षा मानकों को लेकर नागरिक उड्डयन मंत्रालय सख्त, ‘बैकसीट ड्राइविंग’ की संस्कृति खत्म करने का निर्देश

Author : Bureau Reporter

27 July 2025 03:53 PM

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एयर इंडिया में हाल ही में सामने आए सुरक्षा से जुड़े मामलों के बाद केंद्र सरकार ने airline की कार्यप्रणाली पर सख्ती दिखाते हुए एक बड़ा कदम उठाया है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने एयर इंडिया के शीर्ष नेतृत्व को सख्त निर्देश देते हुए कहा है कि सुरक्षा से जुड़े प्रमुख विभागों में "बैकसीट ड्राइविंग" की संस्कृति को तुरंत खत्म किया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि जिन अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई है, उनके पास निर्णय लेने की वास्तविक शक्ति भी हो। यह निर्देश शुक्रवार को एक उच्च स्तरीय बैठक में दिया गया, जिसमें टाटा संस और एयर इंडिया के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन, केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू, नागरिक उड्डयन सचिव समीर कुमार सिन्हा और DGCA प्रमुख फैज़ अहमद किदवई शामिल थे। सूत्रों के अनुसार, मंत्रालय ने विशेष रूप से उन विभागों पर ध्यान केंद्रित किया जो सीधे फ्लाइट सुरक्षा से जुड़े हैं—जैसे सेफ्टी, ट्रेनिंग, मेंटेनेंस, इंजीनियरिंग और इंटीग्रेटेड ऑपरेशंस कंट्रोल सेंटर (IOCC)। इन विभागों में नेतृत्व की स्पष्ट रेखा तय करने की बात कही गई है।

मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, “कई बार यह देखा गया है कि विभागीय पोस्ट-होल्डर केवल नाम के लिए जिम्मेदार होते हैं, जबकि असली निर्णय कोई और लेता है। यह व्यवस्था बदलनी होगी।” एन. चंद्रशेखरन ने मंत्रालय की बातों को स्वीकार करते हुए जरूरी कदम उठाने का आश्वासन दिया है। यह हस्तक्षेप उस समय हुआ है जब हाल ही में एयर इंडिया की फ्लाइट AI 171 को 12 जून को आपातकालीन लैंडिंग करनी पड़ी थी। मामले की जांच चल रही है, लेकिन इसके बाद एयर इंडिया की आंतरिक प्रक्रियाओं और नियामकीय अनुपालन को लेकर मंत्रालय गंभीर हुआ है। तीन दिन तक चली बैठकों के दौरान मंत्रालय ने CEO कैंपबेल विल्सन सहित एयर इंडिया के कई वरिष्ठ अधिकारियों से भी बातचीत की। शुक्रवार की बैठक इस व्यापक समीक्षा का अंतिम चरण था। उल्लेखनीय है कि DGCA ने 21 जून को तीन वरिष्ठ अधिकारियों को पद से हटाने का आदेश दिया था, जिन पर क्रू शेड्यूलिंग में लापरवाही, लाइसेंसिंग, अनिवार्य विश्राम अवधि और पायलट की ताजगी संबंधी नियमों का उल्लंघन करने के आरोप लगे थे।

DGCA ने चेतावनी भी दी है कि यदि ऐसी लापरवाहियां जारी रहीं तो एयरलाइन की उड़ानों को निलंबित किया जा सकता है। नियामकीय अधिकारियों ने यह भी चिंता जताई कि जांच के दौरान अक्सर वे उन अधिकारियों से पूछताछ करते हैं जिनके पास असली निर्णय लेने का अधिकार ही नहीं होता। एक अधिकारी ने कहा, “कई बार हमें उन लोगों से सवाल करने पड़ते हैं जो असल में फैसले नहीं लेते। असली जिम्मेदार लोग कभी कमरे में होते ही नहीं।” एक अन्य संवेदनशील मुद्दे पर भी regulators ने नाराजगी जताई। एयर इंडिया के गुरुग्राम मुख्यालय में कुछ ऐसे वस्तुएं प्रदर्शित की गई हैं जो पुराने विमान हादसों से संबंधित हैं—जैसे सीटें, उपकरण और फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर। जहां इसका उद्देश्य सुरक्षा के महत्व को दर्शाना हो सकता है, वहीं कई कर्मचारियों ने इसे मानसिक रूप से परेशान करने वाला बताया है। हालांकि अधिकारियों ने यह स्पष्ट किया कि एयर इंडिया को अकेले निशाना नहीं बनाया जा रहा है। एक वरिष्ठ मंत्रालय अधिकारी ने कहा, “सभी एयरलाइंस में समस्याएं होती हैं। यह उस होनहार छात्र की तरह है, जिसे अतिरिक्त मार्गदर्शन की जरूरत है।” टाटा संस द्वारा एयर इंडिया को एक विश्वस्तरीय एयरलाइन में बदलने के प्रयासों के बीच, यह सख्त रुख इस बात को दर्शाता है कि आंतरिक जवाबदेही और पारदर्शी नेतृत्व यात्री सुरक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक है।

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