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सिलिगुड़ी कॉरिडोर की सुरक्षा के लिए तीन नई सैन्य छावनियाँ स्थापित

Author : Bureau Reporter

08 November 2025 08:52 AM

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पूर्वी सीमाओं को और मजबूत बनाने की दिशा में भारत ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए भारत-बांग्लादेश सीमा के पास तीन नई पूर्ण रूप से क्रियाशील सैन्य छावनियाँ स्थापित की हैं। ये छावनियाँ बामुनी (धुबरी, असम), किशनगंज (बिहार) और चोपड़ा (उत्तर बंगाल) में स्थापित की गई हैं। इनका उद्देश्य है रणनीतिक रूप से बेहद अहम सिलिगुड़ी कॉरिडोर, जिसे आम तौर पर “चिकन’स नेक” कहा जाता है, की सुरक्षा को और सुदृढ़ करना।

नई सैन्य छावनियों की स्थापना भारत की व्यापक सैन्य रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत सीमा पर रणनीतिक कमियों को पाटना, निगरानी प्रणाली को मजबूत करना, और तेज प्रतिक्रिया क्षमता को बढ़ाना शामिल है। सिलिगुड़ी कॉरिडोर — लगभग 22 किलोमीटर लंबा एक संकरा भूभाग — भारत के मुख्य भूभाग को उसके पूर्वोत्तर राज्यों से जोड़ता है और इसे देश की सैन्य व रसद आपूर्ति की जीवनरेखा माना जाता है।

रक्षा सूत्रों के अनुसार, ये नई सैन्य इकाइयाँ पूर्वी कमान (Eastern Command) की एकीकृत थिएटर संरचना के तहत कार्य करेंगी। इन्हें अत्याधुनिक निगरानी प्रणाली, ड्रोन आधारित टोही इकाइयों, और तेज गति से तैनात होने वाली यंत्रीकृत टुकड़ियों से लैस किया गया है, ताकि किसी भी आपात स्थिति में त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके।

यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब क्षेत्र में नए भू-राजनीतिक समीकरण बनते दिखाई दे रहे हैं। रिपोर्टों के अनुसार, बांग्लादेश के अंतरिम मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस और पाकिस्तान की सैन्य नेतृत्व के बीच बढ़ती निकटता देखी जा रही है। हाल ही में यूनुस ने पाकिस्तान के जॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी के चेयरमैन जनरल साहिर शमशाद मिर्ज़ा से मुलाकात की थी, जिसमें कनेक्टिविटी और रक्षा सहयोग पर चर्चा हुई बताई जाती है।

सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि भारत का यह कदम एक पूर्व-सावधानीपूर्ण रणनीतिक पहल है, जिसका उद्देश्य पूर्वी मोर्चे पर किसी भी संभावित अस्थिरता को रोकना और सिलिगुड़ी कॉरिडोर पर संचालनात्मक प्रभुत्व बनाए रखना है — जो भारत के पूर्वोत्तर राज्यों तक पहुँच का एकमात्र जीवन-मार्ग माना जाता है।

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